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विचार बने आचार

क्रियान्वयन के बिना विचार जैसे हवा बिना गुब्बारे. करोड़ों लोगों द्वारा लाखों विचार प्रतिदिन उत्सर्जित होते हैं लेकिन इनमें से 99.99% दिन का उजाला भी नहीं देख पाते। किसी भी प्रकार के क्रियान्वन के बिना हमें अपने विचारों की हत्या की आदत है। हमें छोटी डायरी रखनी चाहिए या फिर अपने स्मार्ट फोन में नोट्स बनाना चाहिए. जैसे ही कोई विचार कौंधे, बिना किसी मूल्यांकन के हमें उसे तुरंत नोट कर लेना चाहिए। हमारी स्मृति क्षणजीवी होती है जिससे कुछ ही पल में हम यह भूल सकते हैं कि विचार था क्या। विचार किसी भी समय सूझ सकते हैं, आधी रात में या फिर फारिग होते समय भी।

अतः अपने विचार के संभावनाओं, फायदे, नुकसान और निष्कर्ष पर गहन विचार करना चाहिए। यदि आपको लगता है कि उसके क्रियान्वन से भला हो सकता है तो सम्बंधित लोगों से चर्चा करनी चाहिए। उनसे मशविरा किया जाना चाहिए और उनकी सुनी जानी चाहिए। यह जरुरी नहीं कि सभी उसकी तारीफ करेंगे पर हाँ उस विचार के अधिक मूल्यांकन के लिए विविध पहलू और राय महत्वपूर्ण साबित होंगे। एक बार आप आश्वस्त हो गए और आपकी जीवटता भी उस विचार के पक्ष में है तो उसके क्रियान्वन के लिए काम करना शुरु कर दीजिए। जबतक कि आप किसी विचार के क्रियान्वन पर काम नहीं करेंगे, वह कारगर नहीं होगा।

विचारों से लाभान्वित होने के पाँच उपाय
1. विचार नोट करें।
2. सम्बंधित विशेषज्ञों से अपने विचार पर चर्चा करें।
3. किसी भी तरह की आलोचना से हतोत्साहित न हों।
4. अपने विचार के मोह में न पड़ जाएं।
5. यदि आप आश्वस्त हैं तो उसके क्रियान्वन के लिए तत्काल कदम उठाएं।

Hemant Lodha

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