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सफलता में बाधक बहानेबाज

बाधक है सफलता में , सदा बहानेबाज।
काम जो मन से करे, सफल जीव का राज॥

अक्सर लोगों में सफलता के मार्ग में बाधा या गतिरोध का काम करने वाली बहानेबाजी की आदत पायी जाती है. मैं बहानेबाजों को तीन वर्गों में विभाजित करना चाहूँगा. पहले हैं आत्मसंगत बहानेबाज, दूसरे हैं अनिश्चित बहानेबाज, तीसरे हैं असफलता तर्क करने वाले बहानेबाज.

व्यक्ति का आत्मविश्वास जब मंद पड़ जाता है तब वह किसी कार्य-विशेष को न कर पाने के तर्क, कारण और बहाने बनाने लगता हैं. इस तरह के लोग अपने ही उपक्रमों को ख़त्म कर देने में माहिर होते हैं.

बहानेबाजों के दूसरे वर्ग में ऐसे लोग शामिल हैं जिनमें किसी कार्य को अंजाम देने की क्षमता तो होती है किन्तु साथ ही असफलता का भय भी प्रबल होता है. वे काम करने के लिए उत्सुक होते हैं लेकिन काम शुरु करने से पहले ही वे उस कार्य-विशेष की सफलता के प्रति शंका जताने लगते हैं. वे असफलता की दशा में खुद को हर आरोप से बचाने में लगे रहते हैं.

तीसरे वर्ग में वे लोग आते हैं जो काम को पूरे आत्मविश्वास से शुरु तो करते हैं लेकिन यदि असफलता हासिल होती है तो अपनी कोशिश में कमी ढूँढ़ने की बजाय, वे बहानेबाजी पर उतर आते हैं और आरोप दूसरों पर या हालात पर मढ़ने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग कभी भी अपनी गलतियों से नहीं सीखते जिस वजह से इनके सफलता के आसार लगातार घटते जाते हैं.

बहानेबाजी से उबरने के पाँच उपाय
१. बहानेबाजी करने के पहले गहन विश्लेषण करें.
२. अपने भीतर सकारात्मक मिज़ाज विकसित करें.
३. औरों पर दोषारोपण न करें.
४. अपने भीतर सामर्थ्य और संकल्प शक्ति विकसित करें.
५. यथार्थ और बहानेबाजी में फर्क करते हुए तदनुसार बर्ताव करें.

Hemant Lodha

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