संभवतः भारत ही एकमात्र देश है जहाँ धन को देवी की तरह पूजा जाता है। हमारे पूर्वज सहस्त्रों साल पहले धन और संपत्ति का महत्त्व जान गए थे। जिस तरह शरीर में खून वैसे ही जीवन में धन जरुरी है। जैसे रक्त का समुचित और सतत संचार जरुरी है, उसी तरह सतत धन प्रवाह भी जरुरी है। प्रत्येक अच्छी या बुरी चीज के पीछे धन है। धन न अच्छा है न बुरा. धन, धन है। अच्छाई या बुराई लोगों द्वारा इसके इस्तेमाल पर है। अपनी वित्तीय व्यवस्था का इस तरह नियोजन करना चाहिए कि भविष्य में आपके सभी प्रमुख खर्च और वृद्धावस्था संभल जाए।
लोग तीन तरह से धन कमा सकते है। पहला तरीका है व्यक्ति के तौर पर अपनी प्रतिभा और क्षमता के जरिए धन कमाना। सभी कर्मचारी और उद्यमी इस श्रेणी की तहत आते हैं। दूसरा तरीका है धन के जरिए धन कमाना। जैसे शेयरों, सोना-चाँदी और अचल संपत्ति में निवेश करते हुए। तीसरा तरीका है दूसरों की प्रतिभा के इस्तेमाल से अपने स्वप्न पूरे करते हुए धन कमाना। यदि आप नैतिक, वैधानिक और तनावरहित होकर कर सकें तो संपत्ति सतत अर्जित और सृजित करते रहना चाहिए। निजी, परिवार, मित्रों और समाज की जरुरत पूरी करने के लिए धन प्रवाह बनाए रखें।
धन के सम्बंध में पाँच बातें
1. यदि ईश्वर ने आपको धन अर्जित करने की क्षमता से नवाजा है तो धन कमाते रहिए और सत्कार्यों में उसका इस्तेमाल करते रहिए।
2. अवैध और अनैतिक तरीकों से धन न कमाएं, परिणाम दुखदायी हो सकते हैं।
3. धन का आवागमन बनाए रखें, अप-संचय से धन का अवमूल्यन होगा।
4. सचेत होकर भविष्य का नियोजन करें।
5. अपने से धनी लोगों के प्रति ईर्ष्या न रखें।