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सबसे सीखें

यदि आप सीखने को तैयार हैं तो इस पृथ्वी पर मौजूद समस्त चीजें जैसे पौधे, पशु, मानव एवं परिस्थितियाँ आपके शिक्षक हैं। मैं यहाँ इन सुझावों का संचयन अपने अनुभव के बल पर कर रहा हूँ न कि सिर्फ इसकी पाठकीय प्रासंगिकता के चलते आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ। काश! अपनी आखिरी साँस तक मैं विद्यार्थी बना रहूँ। हालाँकि तकनीक और गूगल ने जानकारियां हमारी उँगलियों की नोक पर धर दिया है, फिर भी हम अपने वातावरण से काफी कुछ सीख सकते हैं। ‘मुझे सब मालूम है’, यह सर्वोच्च भ्रम और उच्चतम अहंकार है। जैसे ही आप सोचते हैं कि आप उस्ताद हैं, आप उस्तादी खो देते हैं। सतत ज्ञानार्जन के लिए व्यक्ति को अपने समूचे अहंकार को समाप्त करना होता है। व्यक्ति को सचेत प्रेक्षक बनना होता है. व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को सतर्क रखना होता है। अपने आँख-कान खुले रखने होते हैं। कभी किसी को अपने से कमतर और खुद को औरों से बेहतर नहीं मानना चाहिए। जब आप खुद को एक विद्यार्थी मानेंगे, तब हर किसी को एक शिक्षक की तरह सम्मान देंगे।

पेंसिल का ही एक सामान्य उदाहरण लीजिए, हम उससे कितना कुछ सीख सकते हैं। जबतक कि वह छीले जाने की पीड़ा से नहीं गुजरती, वह किसी लायक नहीं बन पाती। जो कुछ भी उसके भीतर है वह उसके बाह्य आवरण से ज्यादा महत्ता पाती है। बिना उँगलियों की सहायता के वह किसी काम की नहीं है। अंतिम बात यह कि उसकी जिंदगी बहुत सीमित होती है।

सबसे सीखने के पाँच उपाय
1. हर कोई सबकुछ नहीं जानता लेकिन हर कोई कुछ न कुछ जानता है।
2. बोलें कम, सुनें ज्यादा।
3. सूक्ष्मता से गौर करें।
4. दोषारोपण न करें. अपनी गलतियों और असफलताओं से सीखें।
5. सीखते समय अपने अहंकार को परे रखें।

Hemant Lodha

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