नकारात्मक कल्पनाओं से बचे।
कल्पनाएँ करना मानव का गुण भी है और स्वभाव भी। कल्पनाएँ सकारात्मक है या नकारात्मक, यह निर्भर करता है समय, व्यक्ति एवं परिस्तिथियों पर। कल्पनाओं कि गुणवत्ता निर्भर करती है व्यक्ति के बुद्धि एवं ज्ञान के स्तर पर। ईश्वर ने हमें कल्पना करने कि शक्ति दी है लेकिन इसका उपयोग हम कैसे करते है यह निर्भर करता है हमारी मन:स्तिथि पर। जब भी किसी व्यक्ति के कारण हमारे अहंकार को ठेस पहुँचती है हम उस व्यक्ति के बारे में नकारात्मक सोचना आरंभ कर देते हैं। धीरे धीरे ये नकारात्मक कल्पनाएँ हमारे मन में पहाड़ की तरह ईकट्ठी हो जाती है एवं एक दिन ग़लत समय पर एटम बम की तरह फट पड़ती है और रिश्तों के सर्वनाश का कारण बनती है।
नकारात्मक कल्पनाओं से बचने के ५ उपाय:
१) आप क्या सोच रहे है इसके बारे में हमेशा सतर्क रहे।
२) नकारात्मक कल्पनाओं की सार्थकता को जल्द से जल्द जाँच ले।
३) छोटी छोटी नकारात्मक बातों को तवज्जो ना दे।
४) परिस्तिथियों को सामने वाले व्यक्ति के द्रषटीकोण से जॉच ले।
५) अगर संभव हो तो अपनी कल्पनाओं की सार्थकता को लिखित में सामने वाले व्यक्ति के साथ जॉच कर ले।
गलत धारणाएँ लिए,भटक रहें गर आप !
जाने कब विस्फोट कर , उबल पड़े संताप।।
दोहा अविनाश बागड़े
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